बिसरख गांव, उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित, एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है। यह गांव त्रेतायुग के महापंडित और लंकाधिपति रावण की जन्मस्थली माना जाता है। बिसरख का नाम रावण के पिता ऋषि विश्रवा के नाम पर पड़ा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां रावण का जन्म हुआ था, और यही कारण है कि इस गांव में दशहरा के दौरान रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है।
इस गांव का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल शिव मंदिर है, जहां एक अष्टकोणीय शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर और क्षेत्र के ऐतिहासिक प्रमाणों को समझने के लिए हमें इसकी पौराणिक कथाओं, पुरातत्वीय खोजों और आधुनिक विकास योजनाओं पर ध्यान देना होगा।
बिसरख गांव और शिव मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मंदिर की विशेषताएं
बिसरख का शिव मंदिर अपनी अनूठी संरचना और प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है। इसमें स्थित अष्टकोणीय शिवलिंग इसे भारत के अन्य शिवलिंगों से अलग बनाता है।
शिवलिंग की उत्पत्ति और मान्यता
मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं ऋषि विश्रवा ने की थी।
यह शिवलिंग अष्टकोणीय (आठ भुजाओं वाला) है, जो इसे अन्य शिवलिंगों से अलग बनाता है।
कहा जाता है कि रावण और उनके भाई कुबेर इसी शिवलिंग की पूजा किया करते थे और इससे उन्होंने अद्वितीय शक्तियां प्राप्त की थीं।
इस शिवलिंग की गहराई का कोई प्रमाण नहीं है, जिससे यह और भी रहस्यमयी बन जाता है।
इसे ‘रावणेश्वर महादेव’ के नाम से भी जाना जाता है।
पुरातत्वीय खोज और ऐतिहासिक प्रमाण
खुदाई में मिली महत्वपूर्ण वस्तुएं
1990 के दशक में, प्रसिद्ध तांत्रिक चंद्रास्वामी ने पुरातत्व विभाग के साथ मिलकर बिसरख में खुदाई कराई थी। इस दौरान निम्नलिखित महत्वपूर्ण वस्तुएं प्राप्त हुईं:
24 मुखी शंख, जिसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है।
प्राचीन मंदिरों के अवशेष, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और धार्मिक प्राचीनता को दर्शाते हैं।
प्रसिद्ध हस्तियों का आगमन
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने यहां पूजा-अर्चना की थी।
कुख्यात डकैत फूलन देवी भी यहां दर्शन करने आई थीं।
बिसरख में दशहरा उत्सव की परंपरा
देशभर में जहां दशहरे पर रावण दहन किया जाता है, वहीं बिसरख में रावण की पूजा की जाती है।
गांव के लोग मानते हैं कि रावण एक विद्वान ब्राह्मण और तपस्वी था, इसलिए उसकी मृत्यु का उत्सव नहीं मनाया जाता।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और बिसरख को अन्य स्थानों से अलग बनाती है।
क्षेत्र का आधुनिक विकास और मंदिर का पुनर्निर्माण
भविष्य की योजनाएं
बिसरख गांव में मंदिर को और अधिक भव्य बनाने की योजना बनाई जा रही है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मंदिर के सर्वेक्षण के बाद निम्नलिखित कार्यों की योजना बनाई है:
मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए तालाब और उद्यान बनाए जाएंगे।
नए मंदिर की संरचना का निर्माण किया जाएगा, जिसमें आधुनिक वास्तुकला का समावेश होगा।
बढ़ता शहरीकरण और चुनौतियां
बिसरख गांव, ग्रेटर नोएडा के नजदीक स्थित होने के कारण तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है। इसके बावजूद, गांव के लोग अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।
पर्यटन और धार्मिक महत्व
शिव भक्तों और रावण के अनुयायियों के लिए यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
सावन के महीने में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
बिसरख की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता इसे भारत के अनोखे स्थलों में से एक बनाती है।